Sunday, September 5, 2010

किसानों के उत्पीड़न की जमीन तैयार!

किसानों के उत्पीड़न की जमीन तैयार


वरिष्ठ संवाददाता, अलीगढ़ : टप्पल में टाउनशिप खत्म हो गई है।.. किसानों चेक लाओ, जमीन ले जाओ..। अफसरों के ये बोल भले ही सुनने में अच्छे लगें, टप्पल में किसानों के उत्पीड़न का असल खेल तो अब शुरू होगा। प्लेटफार्म भी तैयार-सा है क्योंकि तमाम सवाल अभी तक अनुत्तरित हैं।



सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि टाउनशिप और इंटरचेंज बनाने के लिए सरकार जिस ढाई सौ हेक्टेयर से अधिक जमीन को ले चुकी है, क्या सभी किसानों को जबरन उसे लौटा दिया जाएगा? कई चीजें अभी साफ नहीं हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक टाउनशिप की 488 और इंटरचेंज की 48 हेक्टेयर जमीन को 2356 किसानों से लेना था। इनमें से 1476 किसानों ने जमीन देने पर रजामंदी दी थी। इनमें से 1377 किसान मुआवजा भी ले चुके हैं। ये रकम 110.64 करोड़ से ऊपर है। यानी, हर किसान को औसतन 8 लाख रुपये मुआवजा मिला है। ये लौटाने की नौबत हुई तो किसानों को मूलधन के साथ ब्याज भी चुकाना होगा।



एक अधिकारी बताते हैं कि सरकारी प्रावधान के मुताबिक जिन किसानों को मुआवजा मिले सालभर हुआ है, उन्हें मुआवजे की रकम के साथ 9 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना होगा। जिन किसानों को मुआवजा लिए सालभर से अधिक हो चुका है, उनसे 15 प्रतिशत की दर से ब्याज लिया जाएगा। जो किसान जमीन वापस चाहते हैं, उन्हें मूलधन के साथ न्यूनतम 72 हजार का ब्याज तो देना ही पड़ेगा। ये रकम मामूली नहीं है। आधे से ज्यादा मुआवजे की रकम शौक और जरूरतों को पूरा करने में फूंक चुके हैं। उनके लिए जमीन वापस लेना असंभव ही है।



सवाल यह भी है कि यदि जमीन वापस लेने या न लेने का फैसला किसानों पर छोड़ दिया जाता है (जैसा कि अफसर दावा कर रहे हैं) तो सरकार यहां की जमीन का करेगी क्या? सरकारी खजाने में बूता होता तो सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल को ही क्यों लागू करती? वो खुद ही जमीन लेती और खुद विकास कराती। इस बवाल की नौबत भी न आती तब क्योंकि सरकार को टाउनशिप बसाने की क्या गरज पड़ी है?



मसला तो किसानों पर दर्ज मुकदमों का भी है। क्या ये वापस होंगे? सरकार इसका ऐलान कर चुकी है, फिर भी दुविधा बरकरार है। पेच है 'न्यायिक आयोग' से। एसएसपी दुहाई देते हैं कि जब तक न्यायिक आयोग जांच करेगा, वो कैसे दखल दे सकते हैं? जाहिर है, अभी बहुत कुछ बाकी है।



किसानों का उत्पीड़न कदापि नहीं होगा। सरकार को ब्याज समेत मुआवजा किसान लौटाएंगे तभी उन्हें जमीन मिलेगी। पैसा नहीं देंगे तो मुफ्त में जमीन कतई नहीं मिलेगी। जमीन का सरकार क्या करेगी, यह सरकार ही तय करेगी। अभी कुछ स्पष्ट नहीं