Sunday, November 2, 2014

किसान समस्याओ को लेकर 29 अक्टूबर को भाकियू ने लखनऊ में किया शक्ति भवन का घेराव ,कृषि उत्पादन आयुक्त ने वार्ता कर समस्याओ के समाधान का दिया आश्वासन --------भाकियू

किसान समस्याओ को लेकर 29 अक्टूबर को भाकियू ने लखनऊ में किया शक्ति भवन का घेराव ,कृषि उत्पादन आयुक्त ने वार्ता कर समस्याओ के समाधान का दिया आश्वासन --------भारतीय किसान यूनियन 

लखनऊ में शक्ति भवन पर प्रदर्शन करते किसान 

भारतीय किसान यूनियन ने लखनऊ में शक्ति भवन का घेराव करते हुए किसानो की बिजली ,पानी ,गन्ने ,धान खरीद आदि मुद्दों के समाधान करते हुए प्रदेश सर्कार पर किसानो की अनदेखी का आरोप लगाया |
किसान पंचायत को संबोधित करते हुए चौ. नरेश टिकैत ने कहा कि गन्ना भुगतान न होने किसान आत्महत्या कर रहे है |क़र्ज़ के कारन किसानो की जमीन नीलम हो रही है | धान के किसानो का धान नहीं खरीदा जा रहा है | प्रदेश में अफसरशाही हावी है ,किसानो की समस्याओ के प्रति अधिकारी गंभीर नहीं है |
पंचायत में मंच पर किसान नेता 
किसानो की हजारो की भीड़ से लखनऊ की यातायात वयवस्था चरमरा गयी | जिससे अधिकारियो की बैचनी बढ़ गयी | किसानो को वार्ता का प्रस्ताव भेजा गया | किसानो ने मुख्यमंत्री से वार्ता करने की बात कही ,अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के बहार होने के कारन वार्ता नहीं हो सकती ,किसानो से कृषि उत्पादन आयुक्त वार्ता करना चाहते है | इसके बाद किसानो के प्रतिनधिमंडल ने कृषि उत्पादन आयुक्त से वार्ता कर निम्न समस्याओ के समाधान की मांग की ----------
                                                                      मांग पत्र
माननीय,
श्री अखिलेश यादव,
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, सरकार लखनऊ।
मान्यवर,
प्रदेश में भाकियू हमेशा किसानों के लिए संघर्ष करती रही है। प्रदेश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ा है। किसान के अत्यधिक परिश्रम के बाद भी किसान को उसकी मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाता। किसानों पर कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है। जिससे प्रत्येक वर्ष 4 से 6 प्रतिशत के बीच किसान खेती छोडकर किसान से खेतीहर मजदूर बन रहे है। एन0एस0एस0ओ0 की रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई दूसरा धंधा मिले तो 50 प्रतिशत किसान खेती छोडने को तैयार है। युवाओं का खेती से मोह भंग हो रहा है। जिसका मुख्य कारण है कि किसानों को उनकी उपज का उचित लाभकारी मुल्य न मिलना। आपसे दिनांक 29 अक्टूबर 2014 को शक्तिभवन  लखनऊ में आयोजित किसान पंचायत के माध्यम से भारतीय किसान यूनियन निम्न मांग करती है।
1.  प्रदेश में सूखे के कारण गन्ना किसानों की उत्पादन लागत में काफी वृद्धि हुई है। नवीन गन्ना पैराई सत्र 2014-15 में गन्ने का दाम तय करते समय किसानों की उत्पादन लागत को दृष्टिगत रखते हुए गन्ने का मूल्य कम से कम 400 रुपये कुन्तल अविलम्ब घोषित किया जाए।
2.  पिछले सत्र का गन्ना किसानों का बकाया भुगतान उच्च न्यायालय के आदेशानुसार अविलम्ब ब्याज सहित कराया जाये। चीनी मिलों को अविलम्ब चलाया जाए।
3.  प्रदेश में सूखे के कारण धान की उत्पादन लागत में भी काफी वृद्धि हुई है। उत्पादन लागत के आधार पर धान के किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। राज्य सरकार से मांग है कि धान के किसानों को 200/- रुपये प्रति कुन्तल बोनस दिया जाए। धान की खरीद हेतू समय से पूर्व क्रय केन्द्र खोले जाए।
4.  प्रदेश में सूखे के कारण किसानों के नुकसान का मुआवजा बीमा कम्पनियों से अविलम्ब दिलाया जाए एवं बीमा रहित किसानों के नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाए, किसानों को रुपये 20, 000/- प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देते हुए बिजली का बिल भी माफ किया जाये।
5.  प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 2 घंटे की बिजली आपूर्ति की जा रही है। जिससे किसानों का खेती करना सम्भव नहीं हो पा रहा है। किसानों को 15 नवम्बर से 28 फरवरी तक किसानों को सिंचाई हेतू दिन में 9 बजे से कम से कम 18 घंटे निर्बाध गति से विद्युत आपूर्ति की जाए।
6.  किसानों को निजी नलकूप हेतू बिजली के नए कनेक्शन दिये जाये एवं स्वीकृत सभी कनेक्शनों का सामान भी
   अविलम्ब उपलब्ध कराया जाये। बिजली की बढी दरें वापिस ली जाए। बुन्देलखण्ड के सभी जनपदों में बिजली की आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्र की जाती है, लेकिन बिल शहरी क्षेत्र की आपूर्ति का वसूल किया जाता है, जिसे तुरन्त समाप्त किया जाए।
7.  कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है। कृषि विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच करायी जाये। कृषि निदेशक के पद पर आई0ए0एस अधिकारी की नियुक्ति की जाये।
8.  प्रदेश में आवारा पशुओं जैसे नीलगाय, जंगली सुअर आदि के द्वारा किसानों की फसलों को नष्ट किया जा रहा है। सरकार द्वारा इन से निपटने हेतू एक विशेष कार्य योजना तैयार की जाए।
9.  कृषि वार्निकी खेती करने वाले किसानों का पुलिस व मण्डी परिषद द्वारा शोषण किया जा रहा। प्रदेश में पोपलर, सागवान, यूके लिप्टिस आदि को कृषि वार्निकी में शामिल कर किसानों को अविलम्ब शोषण से निजात दिलायी जाए।
10. प्रदेश में चार कृषि विश्वविद्यालय होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश हरियाणा और पंजाब में स्थापित  
    नस्लों के बीजों की ही उपलब्धता है। प्रदेश में उन्नत बीज क्षेत्र में गम्भीरता से काम किया जाये।
11.  आन्दोलन के दौरान किसानों पर सभी मुकदमें वापस लिये जाये।
12. बुन्देलखण्ड में सहकारी समितियां खरीफ, रबी की फसलों को अलग-अलग करते हुए कर्ज के कुछ भाग खाद एवं बीज की खरीद को अनिवार्य कर दिया गया है। इसे समाप्त कर पूर्व की व्यवस्था को बहाल किया जाये।
13. उत्तर प्रदेश के निकट के राज्यों में यूरिया के दाम उत्तर प्रदेश से कम है तथा डीजल का मूल्य भी कम है। डीजल व यूरिया पर राज्य सरकार द्वारा लगाये गये करों में कमी की जाए।
14. प्रदेश में किसान दुर्घटना बीमा के प्रस्तावित सभी प्रकरण की धनराशि जनपदों में भेजी जाये।
15. प्रदेश में चकबन्दी कार्यो में तेजी लायी जाये तथा एक समय में एक गांव की चकबंदी समाप्त करने के
   बाद ही दूसरे गांव में चकबंदी की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाये। विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया
   जाये।
कृषि उत्पादन आयुक्त से वार्ता करता प्रतिनिधिमंडल 
सभी मुद्दों पर वार्ता के लिए  कृषि उत्पादन आयुक्त ने ,प्रमुख सचिव गन्ना विकास,प्रमुख सचिव उर्जा ,विशेष सचिव कृषि को भी बुलाया |
कृषि उत्पादन आयुक्त ने चौ.नरेश टिकैत को आश्वासन दिया कि ग्रामीण क्षेत्रो में 10 बिजली की आपूर्ति की जाएगी |
किसानो को स्वीकृत निजी नलकूप के सभी कनेक्शनों का सामान 31मार्च तक उपलब्ध कराया जायेगा |
प्रदेश में पोपलर, सागवान, यूके लिप्टिस आदि से मंडी शुल्क समाप्त करने पर गंभीरता से विचार किया जायेगा |
अगले सप्ताह में किसानो की माननीय मुख्यमंत्री से वार्ता करायी जाएगी |
किसानो को सर्दी में सिचाई हेतु दिन के समय बिजली आपूर्ति की जाएगी |
सभी मुद्दों पर वार्ता के बाद चौ. टिकैत ने पंचायत को समाप्त करने की घोषणा की |


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