Saturday, May 2, 2015

किसानों की समस्याओं पर कमेटी गठित करने का माननीय मुख्यमंत्री जी ने दिया आश्वासन-भाकियू

                                                              प्रेस नोट
किसानों की समस्याओं पर कमेटी गठित करने का माननीय मुख्यमंत्री जी ने दिया आश्वासन-भाकियू
आज भारतीय किसान यूनियन के 9 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने चैधरी राकेश टिकैत जी के नेतृत्व मंे माननीय मुख्यमंत्री जी से उनके आवास 5 कालीदास मार्ग पर किसान समस्याआंे को लेकर वार्ता की। वार्ता में दिवान चन्द चैधरी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजेश सिंह चैहान प्रदेश अध्यक्ष, विजेन्द्र सिंह यादव, हरिनाम सिंह वर्मा जिलाध्यक्ष लखनऊ, धर्मेन्द्र मलिक प्रवक्ता, राजवीर सिंह जादौन प्रभारी बुन्देलखण्ड, दिनेश दुबे, सरदार गुरमीत सिंह, मुकेश सिंह प्रदेश महासचिव शामिल रहे। भाकियू  नेताओं ने माननीय मुख्यमंत्री जी को 19 सूत्रीय मांग पत्र दिया जिस पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आपके मांगपत्र के अनुसार प्राकृतिक आपदा पर नीति बनाने, प्रदेश में किसानों की आत्महत्या, फसलांे की लागत और मूल्य, राजस्व के पुराने कानूनों में परिवर्तन को लेकर जल्द ही इन विषयों पर कमेटी गठित किये जाने का कार्य किया जायेगा। जिसमें भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जायेगा। कमेटी द्वारा जो सिफारिशें की जायेगी उ0प्र0 सरकार उन्हें लागू करने का कार्य करेगी। मुख्यमंत्री जी ने जल्द ही इन विषयों पर बैठक करने का भी आश्वासन दिया।
भवदीय

(धर्मेन्द्र मलिक)
प्रवक्ता

श्री अखिलेश यादव जी से वार्ता करते भाकियू प्रवक्ता श्री राकेश टिकैत जी 


                                                                                       मांग पत्र
माननीय,
श्री अखिलेश यादव जी,
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ।
मान्यवर,
प्रदेश में भाकियू हमेशा किसानों के लिए संघर्ष करती रही है। प्रदेश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ा है। किसान के अत्यधिक परिश्रम के बाद भी उसकों उसकी मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाता है। एक सर्वे के अनुसार किसानों की मासिक आमदनी मात्र तीन हजार रुपये के आसपास है। ऐसी परिस्थितियों में किसानों पर कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है। जिससे प्रत्येक वर्ष 4 से 6 प्रतिशत के बीच किसान खेती छोडकर किसान से खेतीहर मजदूर बन रहे है। एन0एस0एस0ओ0 की रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई दूसरा धंधा मिले तो 50 प्रतिशत किसान खेती छोडने को तैयार है। युवाओं का खेती से मोह भंग हो रहा है। जिसका मुख्य कारण है कि किसानों को उनकी उपज का उचित लाभकारी मुल्य न मिलना। आपके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 को किसान वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। यह निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार का सराहनीय और स्वागत योग्य कदम है। भारतीय किसान यूनियन सरकार के इस फैसले का स्वागत करती है। उत्तर प्रदेश के किसानों से सम्बंधित विषयों पर आज दिनांक 27 अप्रैल 2015 को माननीय मुख्यमंत्री जी से वार्ता मंे निम्न समस्याओं के समाधान की मांग करती है।
1.  प्रदेश में असमय बारिश और ओलावृष्टि से हुई किसानों की फसलों की क्षति-पूर्ति हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जो कदम उठाये गए है। भारतीय किसान यूनियन उसका स्वागत करती है। प्रदेश के लगभग 25 जनपदों में प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसलें पूर्णतः नष्ट हुई है। दूसरे अन्य जनपदों में किसानों की फसलों का 50 से 70 प्रतिशत तक का नुकसान  हुआ है। फसलें बर्बाद होने से किसानों को दिल के दौरे पडने से मौत का सिलसिला रूक नहीं पा रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों के सामने आजीविका एवं कर्ज चुकाए जाने का संकट खडा हो गया है। जिससे हताश होकर कुछ किसानों ने भी मौत को गले लगा लिया है। किसानों को कृषि निवेश एवं मजदूरी के सापेक्ष राहत दिये जाने हेतु प्रति एकड़ 25 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए। एक वर्ष तक के बिजली के बिल व उत्तर प्रदेश सरकार के आधीन कर्ज देने वाली संस्थाओं के किसानों के कर्ज पर ब्याज माफ किया जाए। किसानों के अग्रिम एक वर्ष तक सभी देयों की वसूली पर रोक लगायी जाए। 
2.  प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसलों का मुआवजा दिये जाने हेतु कोई नीति नहीं है। किसानों की फसलों को हुई हानि का मुआवजा दैवी आपदा से दिया जाता है। जिसमें मुआवजे की राशि बेहद कम होती है। कई बार किसानों को मिलने वाली धनराशि इतनी कम होती है कि जिससे मुआवजा राशि उपहास की स्थिति में आ जाती है। इसके लिए एक कमैटी का गठन कर प्रदेश स्तर पर इससे निपटने हेतु नीति बनाई जाए तथा प्रदेश में इस तरह की आपदा से निपटने हेतु एक आकस्मिक निधि भी बनायी जाए। 
3.  फसलों की बर्बादी के कारण सदमे व खुदखुशी के कारण हुई किसानों की मौत के परिवार वालों को 25 लाख रुपये मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए। 
4.  गन्ना उत्तर प्रदेश की फसल ही नहीं बल्कि किसान राजनीति का भी केन्द्र बिन्दु है। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान ब्याज सहित अविलम्ब कराया जाए। 
5.  किसान दुर्घटना बीमा में कृषि करने वाले परिवार के सदस्यों को भी बीमा योजना में शामिल किया जाए। किसानों के स्वीकृत सभी दावों का भुगतान अविलम्ब कराया जाए। स्वीकृत दावों का भुगतान न करने वाली कम्पनियों के विरूद्ध के विरूद्ध रिकवरी जारी की जाए। 
6.  प्रदेश में स्थित ब्लाॅक का एक बड़ा हिस्सा डार्क जोन की श्रेणी में आने के कारण किसानों को निजी नलकूप के कनेक्शन नहीं मिल पा रहे है। जिससे किसानों का कृषि कार्य करना सम्भव नहीं हो पा रहा है। इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कर किसानों को कनेक्शन दिये जाने का उपाय अविलम्ब किये जाए।
7. किसानों द्वारा राष्ट्रहित में कृषि कार्य किया जाता है। मौजूदा स्थिति में यह व्यवसाय संकट के भयानक दौर से गुजर रहा है। किसानों से बिजली बिल फिक्स रूप से 7.5 हाॅर्स पाॅवर का वसूल किया जाए। 
8.  सामान्य योजना के अन्तर्गत स्वीकृत निजी नलकूप के कनेक्शन का सामान अविलम्ब उपलब्ध कराया जाए। 
9.  ग्रामीण क्षेत्रों में 8 घंटे दिन व 8 घंटे रात्रि में विद्युत आपूर्ति की जाए। 
10.  पिछले 10 वर्षो से बुन्देलखण्ड के किसान सूखा व असमय बारिश की मार झेल रहे है। जिससे किसानों पर कर्ज का बडा भार हो गया है। आये दिन बुन्देलखण्ड से किसानों की आत्महत्या की खबरे आती रहती है। बुन्देलखण्ड में किसानों का उत्पीडन चरम सीमा पर है। बुन्देलखण्ड की समस्या के समाधान हेतु भारत सरकार पर दबाव बनाकर किसानों के निजी व सरकारी सभी कर्ज पूर्णतः माफ किये जाए। 
11. लघु सिंचाई योजना में निःशुल्क बोरिंग योजना, मध्यम गहरे बोरिंग, गहरे बोरिंग में अंशदान बढ़ाकर डेढ लाख रुपये प्रति बोरिंग किया जाए तथा उर्जीकरण का पैसा भी बढ़ाया जाए।
12. प्रदेश में सिंचाई हेतु नई नहरे व बांध बनाए जाए। चैगामा नहर परियोजना को चालू किया जाए।
13. प्रदेश में आवारा पशुओं जैसे नीलगाय, जंगली सुअर आदि के द्वारा किसानों की फसलों को नष्ट किया जा रहा है। सरकार द्वारा इसकी रोकथाम हेतू आवश्यक कार्यवाही की जाये। 
14. प्रदेश में जैव परिवर्तित (जी0एम0) फसलों के परीक्षण पर रोक लगायी जाये। 
15.  आन्दोलन के दौरान किसानों पर सभी मुकदमें वापस लिये जाये।
16. उत्तर प्रदेश में आसपास के प्रदेशों से यूरिया के दाम 50/- रुपये ज्यादा है। प्रदेश में यूरिया के दाम कम किये जाये। 
17. प्रदेश में चार कृषि विश्वविद्यालय होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश हरियाणा और पंजाब में स्थापित नस्लों के बीजों      की ही उपलब्धता है। प्रदेश में उन्नत बीज क्षेत्र में गम्भीरता से काम किया जाये।
18. प्रदेश में चकबन्दी कार्यो में तेजी लायी जाये तथा एक समय में एक गांव की चकबंदी समाप्त करने के बाद ही दूसरे      गांव में चकबंदी की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाये। किसी भी गांव में चकबंदी शुरू करने से पहले उसकी समय सीमा  तय की जाए। विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाये।
19. प्रदेश में किसानों की आत्महत्या, कर्ज, कृषि विपणन्न, खरीद, फसलों की लागत और मूल्य, बुन्देलखण्ड के किसानों की वर्तमान स्थिति और समाधान, किसानों से सम्बंधित पुराने कानूनों में सुधार आदि मुद्दों पर उच्च स्तरीय कमैटी का गठन किया जाए। जिसमें किसान प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। कमैटी की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद सरकार द्वारा उचित कार्यवाही की जाए। 
भवदीय 

चै0 राकेश टिकैत श्री दीवान चन्द चैधरी श्री राजेश सिंह चैहान
(राष्ट्रीय प्रवक्ता)                         (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाकियू)                        (प्रदेश अध्यक्ष)
   भाकियू                                                     भाकियू

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